Sunday 22 October 2017

mutafrikat

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       *🌹بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ🌹*
     *اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*

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             *🌴 मुताफर्रिकात:*
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_वैसे तो नमाज़े जनाज़ा की इब्तिदा हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के ज़माने से है जैसा कि रिवायत में है कि आपकी नमाज़े जनाज़ा फरिश्तों ने पढ़ी और इमाम हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हुए मगर इस्लाम में इसकी मशरूईयत हिजरत के तक़रीबन 9 महीने बाद हुई और सबसे पहला जनाज़ा सहाबिये रसूल हज़रत असद बिन जुरारह का पढ़ा गया जिसको खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने पढ़ाया_

📚 (फतावा रज़विया,जिल्द 2,सफह 467)..

💎 *_मौत व हयात दोनों वुजूदी हैं जब सारे जन्नती जन्नत में और सारे जहन्नमी जहन्नम में जा चुके होंगे कि अब कोई जहन्नम से बाहर निकलने वाला ना होगा तो मौत को मेंढे की शक्ल में जन्नत व दोज़ख के दरमियान लाया जायेगा और उसे हज़रत यहया अलैहिस्सलाम अपने हाथों से ज़िबह फरमायेंगे फिर उसके बाद कोई भी नहीं मरेगा.._*

*📚 (शराहुस्सुदूर,सफह 15)..*

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